बुधवार, 21 मई 2025

निकल पड़

An two year old poem


 

 

  

 

 

 

आपका नाम ले कर पुकारने लगे

 

जब आपकी औलाद

 

तब

 

समझ लीजिये

 

वह

 

अब आपके रिश्ते को नहीं मान देता

 

निकल पड़ इंसान

 

अब इस घर को तेरी ज़रूरत रही

 

लौट अब

 

अपने जन्मस्थान की ओर

 

क्यों पुकारती तू

 

ईश्वर मूर्ति में नहीं है

 

मंदिर में नहीं है

 

वह

 

तुझमें है

 

मान रख अपना ।

 

 

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