बुधवार, 18 जून 2025

मैं अपना भाग्य विधाता हूं ।



15 August 2015
00:51



आजादी का जश्न मनाते वक्त 
याद आये 
मुझे 
मेरे जन्मदाता 
जिनके 
त्यागपूर्ण जीवन के बल पे 
सदा जलती रही 
कुछ कर गुजरने की लौ 
मेरे मन में .......
आज 
इस सम्मानजनक समाज में 
क्यूं न याद करूं मैं 
अपना ...........आर्थिक अभाव ........
बदली मैंने अपनी किस्मत 
अपने छोटे छोटे हाथों से ......
आज खोली जो मुट्ठी मैंने अपने अंधेरे कमरे में 
तो 
रोशन हो गया .......
मेरा कमरा .........मेरा जहाँ ........
मैं अपना भाग्य विधाता हूं |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें