बुधवार, 25 सितंबर 2024

जल रही है मशाल





#इन्दु_बाला_सिंह


भक्क से जल उठी थी चिंगारी 


सात वर्ष की ही उम्र में 


जिस पल मेरी माँ को कहा था 


मेरी ताई ने -


तुम्हारे तो केवल बेटी ही है 


मेरे बेटे को अपना बेटा समझो ……


माँ चुप रही 


दुःखी भी ज़रूर हुई थी होगी वह 


उसके भाई के खानदान में एक भी बेटा न था 


समय के साथ मन के झाड़ में लगी चिंगारी मशाल बन गयी 


और 


आज जीवन के उत्तरार्ध काल  में भी 


जल रही वही मशाल ।



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