#इन्दु_बाला_सिंह
दुपहरिया से बादल दुःखी है आंसू बरसा रहा है
न जाने क्यूँ
पार्क में पैदल चलने का मौसम नहीं है
पर
इंसान मौसम से भी लोहा ले लेता है
पार्क के मैदान कुछ औरतें ख़ाना बना रहीं हैं
कुछ मर्द उनके लिए प्लास्टिक की चादर बांध रहे हैं
चूल्हा सुगमता से जलना है
ख़ाना भी तो बनाना है
ज्युतिया के लिये प्रसाद बन रहा है
बेटे की सलामती का पूजन है
बेटा सलामत है
तो
पति खुश है
पति खुश है तो घर है
औरतों पर देवी देवता पूजन का भार टीका है
ज्युतिया के दिन बेटियों के दिल में क्या है
बिन बेटों की माँ के दिल में क्या है
यह क्यूँ सोंचा जाय
बेटा विदेश बस जाये
तो
पूजन व्यर्थ गया
माँ - बाप के अंतिम पल में
गंगा जल नौकर डाले
यही सत्य है
लायक बेटे का ।
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