शनिवार, 21 सितंबर 2024

ग्लोबल इंसान

#इन्दु_बाला_सिंह


अब ग्लोबल बनने की ओर चले 


छूटा कब  पता नहीं अपना गाँव 


और अपने लोग बिसर गये 


जड़ से कट कर हम आज कितने अकेले हो रहे 


उबर , स्विग्गी, बिगबास्केट , एलेक्सा हमारे मित्र हैं 


नदियों से हम मुँह मोड़ चले 


क्रेच और  वृद्धाश्रम के सहारे हम आगे बढ़े 


अपने जन्मदाता की छाँव  छोड़


धर्म की छाँव में सुस्ताने लगे अब हम ।



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