रविवार, 22 सितंबर 2024

पार्क में जुगाली

 


#इन्दु_बाला_सिंह


रिमझिम पड़ रही हैं फुहारें 


पार्क में बैठी हूँ 


बच्चे घर में बंद हैं 


आवारा कुत्ते घूम रहे हैं 


वे आज आज़ाद हैं 


वे ही कर रहे हैं मेरा मनोरंजन 


सूने घर और उसकी परेशान दीवारों से ऊबी मैं 


पार्क के एक छाँव में 


हूँ बैठी .…


कुत्ते मेरे बग़ल से गुजर जाते हैं 


भौंकते नहीं मुझ पर 


शायद वे मुझे पहचानते हैं


किसी कैविटी  में वे अपनी पहचान डाल देते हैं 


नीचे तल्ले की रसोई सूंघते 


वे गुजर जाते हैं 


बेकार इंसान  भी इसी तरह विभिन्न घर की  रसोइयों की ख़ुशबू लेते गुजरता 


तो 


वो क्या सोचता …


मैं 


सोंच नहीं पाती हूँ ……


बरसात न हो तो छोटे बच्चे दिख जाते हैं 


पार्क के बालू में 


घरौंदे बनाते 


एक दूसरे को दौड़ाते


कुछ समझदार बच्चे 


मुझसे समय का ज्ञान पाने के लिये 


पूछ लेते हैं मुझसे 


मेरी घड़ी का टाइम ….…


छोटे बच्चे न रहें 


कुत्ते न रहें 


तो पार्क उदास हो जाता है 


दिमाग़ में  


जुगाली करने को मुझे 


पार्क में 


मुद्दा नहीं मिलता  है ।



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