- इंदु बाला सिंह
दिखाने के लिये मां के पास बेटे और उसके मित्रों की भीड़ है
बिस्तर पर पड़ी मां को सही गलत का ज्ञान नहीं
वो जो मांगे उसे बेटे खिला देते हैं
और फिर मां तड़पने लगती है दर्द से .....
मां को अस्पताल ले जाना है सुनते ही घूमने निकल गया बेटा
अब अस्पताल का झंझट कौन उठाये ?
ऐसे बेटे को क्या नाम दूं !
मां की जान भी जबर है
खाली चीखती है ....
काश एक बार में ही मुक्त हो जाती मां अपने शरीर से !
पुत्र चिंतामुक्त हो जाते .....
अपना अपना हिस्सा ले लेते ....
सही कहा था मेरे पिता ने ....
बच्चा बूढ़ा एक नहीं
बच्चे का नखरा उठा सकते हैं लोग
पर बूढ़े का नहीं .....
मेरी स्कूल में पढ़नेवाली बिटिया कह उठी .....
ईश्वर क्या ऐसे बेटों को सजा नहीं देता है ?
मैं सोंच में पड़ गयी ......
मेरी बिटिया देख रही थी
पड़ोस की बूढ़ी दादी का कष्ट
और
मैं सोंच रही थी ......
ईश्वर हाथ पैर चलते उठा लेता मुझे तो अच्छा रहे
मुझे अपना ऐसा बुढ़ापा न भोगना पड़े |
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