बुधवार, 15 जुलाई 2020

कोरोना एक अनचाहा अतिथि


03.05.20
-इन्दु बाला सिंह
कोरोना !
तुम मेरे मित्र हो
एक बहुत ही अच्छे मित्र हो
मैं तुम्हें पसन्द करती हूं
मैं तुम्हें दूर से ही देख कर खुश हूं .......
तुम बहुत ताकतवर हो
तुम्हारे कारण ही मुझे घर में बैठ कर आफिस का काम करने की आजादी मिली है ....
मैं अपने बच्चोंऔर अपने रसोईं के निकट हूं
मेरी दोस्ती अब इंटरनेट से हो गयी है
हर शाम को अपने विदेश में बसे मित्रों से वीडियो चैट करती हूं .... नाचती हूं .... गाती हूं
कोरोना !
बहुत धन्यवाद तुम्हारा
तुम मेरे घर कभी न आना ....
पर अपनी ताकत पर घमंड न करना
बहुत देर तक मत रहना इस धरती पर
वरना बहुत जल्दी तुम्हें यहां से भगा दिया जायेगा
अतः तुम खुद लौट जाओ
मैं और इस धरती का हर निवासी तुम्हारी याद मन में रखेगा ....
और
हर पीढ़ी अपने आनेवाली पीढ़ी को तुम्हारी कहानी सुनायेगी ।

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