बुधवार, 15 जुलाई 2020

गल्तियां


10:28 AM
22/06/20
-इन्दु बाला सिंह
अपनी गल्तियों और सुधार में आई समस्याओं का पुलिंदा रख दिया था
एक दिन मैंने
अपनी बिटिया के स्टडी टेबल पर
इस विश्वास के साथ
कि
वह मेरी ग़लतियाँ नहीं दुहरायेगी
अपने जीवन की पाठशाला में
और
नयी ग़लतियाँ करती हुई .... नया कुछ सीखती हुई आगे बढ़ेगी
मुझसे ज़्यादा ऊँचाइयाँ छुयेगी.....
सुख भोगेगी.....
पर
अब इन्तज़ार भी है
कि
वह भड़कती हुई आयेगी .... तुम भी न मुझे बच्चा समझती हो !!
पर
दूसरे दिन मुझे उसका फ़ोन मिला ....
पढ़ लिया है मैंने माँ
तुम्हारा ढेर सारे पन्नोंवाला ख़त
और मैंने गोदरेज के लाकर में सम्हाल के रख दिया है उसे ......
इससे बड़ी वसीयत मेरे लिये कोई नहीं
लव यू माँ ।

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