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रविवार, 29 नवंबर 2015
हम गुलाम हो गये गाड़ियों के
-इंदु बाला सिंह
पांव ने छोड़ दिया
साथ हमारा ......
बहुत याद आती हैं सड़कें
जहां से
गुजरे थे हम पैदल गाड़ी के भाव में.........
खाली थी जेब
तो क्या हुआ
आतुर थे
हम
लिखने को अपना नसीब..........
वे
राजसी पल छूट गये
और
हम गुलाम हो गये
गाड़ियों के ।
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