15
November 2015
07:53
-इंदु बाला
सिंह
समन्दर
!
क्या छुपाये
तुम दिल के अंदर
क्यों हो तुम
क्रोधित ...........उफन उफन डराते ..........
रात में
तुम आ जाते
मेरी बंद
खिड़की पे
हो ओ ओ ......
हो ओ ओ ...........हड्म हड्म ......
डराते मुझे
..........
मैं तो तेरी
मुग्धा
सुबह .......
शाम ........सूर्य की किरणों संग तुम सोना बिखेरते
दिन भर तुम
क्या करते ?
ओ समन्दर !
आज तुम बतला
ही दो न |
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