शनिवार, 14 नवंबर 2015

क्या छुपाये तुम दिल के अंदर


15 November 2015
07:53

-इंदु बाला सिंह


समन्दर !
क्या छुपाये तुम दिल के अंदर
क्यों हो तुम क्रोधित ...........उफन उफन डराते ..........
रात में
तुम आ जाते
मेरी बंद खिड़की पे
हो ओ ओ ...... हो ओ ओ ...........हड्म हड्म ......
डराते मुझे ..........
मैं तो तेरी मुग्धा
सुबह ....... शाम ........सूर्य की किरणों संग तुम सोना बिखेरते
दिन भर तुम क्या करते ?
ओ समन्दर !

आज तुम बतला ही दो न |

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