शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

वह बड़ी उम्र की थी



-इंदु बाला सिंह


वह
अकेली थी
बड़ी उम्र की  थी
मकान  मालकिन थी
बिल्डिंग में उसे दादी कह कर बुलाते थे
पर
वह मोटी चमड़ीवाली थी
या
दिल से  दबंग
पता  नहीं
ब्याह के  मंडप पे
उसी की कामवाली ने
नहीं बुलाया था ………
ब्याह  गीत जब  गाने लगीं औरतें
तब वह खुद को रोक न सकी
और
बैठ गई मंडप के सामने
अपने  दरवाजे पे.......
देखने लगी
ब्याह की रस्में
नहीं  बुलाये तो क्या हुआ  ...........
यह कैसा रिवाज है
अकेली औरत को  न पहचानने  का
ब्याह की  रस्मों के समय । 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें