27
November 2015
07:49
-इंदु बाला
सिंह
न जाने कब और
कैसा बीज पड़ा
कि जन्मे
जुड़वां
सत्य और चोरी
जब से होश
सम्हला है
परेशान है
सत्य चोरी से ........
चोरी दिखती
नहीं
पर
कहीं न कहीं
यह अपनी उपस्थिति
दर्ज करा
अपने जीवित
होने का प्रमाण दे ही जाती है ........
कभी यह
निकम्मे के पीछे छुपती है
तो
कभी लालची के
पीछे
और
बढ़ती ही जाती
है
उंची होती ही
जाती है |
सत्य छोटे
बच्चे सा ठुमुक ठुमक चलता रहता है
जो भाता मन को
जरूर है
पर
कितना भी इसे
बाढ़ की टानिक पिलाया जाय
पर
यह न जाने
क्यों बढ़ता ही नहीं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें