- इन्दु बाला सिंह
पैसे की गर्मी
बढ़ी ऐसी
कमाऊ पूत पे
कि
चढ़ी
चर्बी आँख पे ...........
दिखायी न दें
वृद्ध पिता
न आये पहचान में
लो भई अब तो अपनी माता ..........
ब्याहता बिटिया की शिकायत कर कर हारी माँ
पर
जीत न पायी मन
अपने पुत्र का...........
मुहल्ले में प्रसंशा कर कर हारी
पुत्र प्रेम में अंधी
वृद्धा माँ
पर
द्रवित न कर पायी मन अपने पुत्र का..........
ये कैसा संबन्ध बनाया
ओ दयु !
तूने
आज
माता और ब्याहता पुत्र का ।
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