- इंदु बाला सिंह
इतने स्वार्थी कैसे बने तुम
पुत्र प्रेम में
कैसे इतना डूबे तुम
हैरत है ...........
अपने कर्तव्य पथ से च्युत हुये
और
अपनी दी जबान से विमुख हुये
न जाने किस विद्यालय में पढ़ कर तुम बड़े हुये
आज सोचूं मैं
तुम ही तो रख चुके थे नींव
स्वार्थ के महल का
जिसे पूरा किया तुम्हारे बेटों ने
और
रिश्ते कुम्हला गये ।
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