Mon 2 Nov 9 : 29 : am
- इंदु बाला सिंह
नानी तो है झूठ की गठरी
जब खुलती
उसमें से निकलते
अजूबे किस्से
जिसे सुनती
गाल पे रख के हाथ कामवाली
आखिर बातें सुनने के ही तो पैसे मिलते उसे
छोड़ के अपने बच्चे
अपनी बस्ती में
सुबह से शाम तक डटी रहती मालकिन के घर में
और
मुक्त रखती
वह
बहुरानी को
दिन भर के सिरदर्द से ।
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