गुरुवार, 26 नवंबर 2015

न बंधूं मैं


27 November 2015
08:57

-इंदु बाला सिंह


क्यूं बंधूं  मैं
हवा हूं
बहुंगी
झाड़ियों से धीरे धीरे निकलूंगी
रुकुंगी
बार बार जन्मूंगी
और
मिलूंगी तेरी मिट्टी में
ओ री धरा !
न बांटना मुझे किसी घर में
न दान करना मुझे
तेरी थी
सदा तेरी ही रहूंगी |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें