बुधवार, 3 जुलाई 2013

खोना न स्व

इतना प्यार कभी न करना
पिता पति और पुत्र को
कि वह बंधन बन जाये जीवन भर का
घोट दे तेरा अस्तित्व
सुन ओ नारी !
क्यों कि तू सृष्टिकर्ता है
धुरी है समाज की
गुलाम तो पैदा करेगा
निज सरीखा गुलाम ही
पुत्र हो या पुत्री |

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