सोमवार, 29 जुलाई 2013

मेरा घर

बड़ा भला लगता है
मुझे अपना दो कमरे का घर
बारिश के मौसम में
इतवार भाये
हम गरम पकौड़ी खाएं
खिचड़ी खाएं
खिड़की से वर्षा का बिन भीजे आनंद लें
बादल गरजे बिजली चमके
या बिजलीवाले मामूं करेंट काटें
हम तो बच्चों संग इन्ताक्षरी खेलें
बाकी दिन आफिस से लौटने पर
कितना सकून देता मुझे मेरा सूखा कमरा
गर्माहट देता मुझको
मेरे घर की दीवारों में बसती मेरी रूह
खाली समय में
बातें करता मुझसे मेरा घर 
मेरा परम मित्र है मेरा घर |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें