सोमवार, 22 जुलाई 2013

बददुआ

आज सुबह ही याद आयी तेरी
ओ सहोदर !
तेरी बदतमीजी और दुर्व्यवहार भी याद आया
पर बददुआ न निकल पायी आत्मा से
कहते हैं
भोर और संध्या माता कर देती हैं सच
हमारी प्रार्थना |

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