सुबह सुबह
पूर्व दिशा के
मैदानी भाग में
उड़ रही थी धूल
घोड़े की टाप
भी सुनायी पड़ रही थी
कोई तो आ रहा
है ....
पर कौन ? ....
कोई तो होगा
ही
उसके आने के
वेग से कांपती दिशाएं
पूर्वानुमान
हमें करा रहीं थीं
परिवर्त्तन की
सत्ता के
पलटने की |
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