मंगलवार, 16 जुलाई 2013

बहादुर बेटी

प्यासी तलवार थी लाल हुयी 
कोई इधर गिरा कोई उधर गिरा
बेटी ने था मान रखा
अपनी झांसी का
बेटी की यह अमर कहानी
है याद आज
हर छात्र को जुबानी |

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