पुकारो
!
ध्यान लगाओ
आ जायेंगे
तेरे सर्वशक्तिमान
तेरे ही हृदय
में
क्यों जाता
खोजने उसे पहाड़ों पर मैदानों में
वो तो बसता
तुझमें
क्या पूण्य
कमाएगा ! जब तेरा अपना तड़पेगा
ओ रे मुर्ख मन
!
निज हृदय से
खरपतवार चुन
फेंक
क्यों करता तू
बराबरी उनसे जो
तीर्थ कर
पूण्य कमाते
सुन मेरी
मनुष्यता ही धर्म है
और तू मानव का
कल्याण कर |
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