बुधवार, 3 जुलाई 2013

आ जायेंगे तेरे ईश

पुकारो !
ध्यान लगाओ
आ जायेंगे तेरे सर्वशक्तिमान
तेरे ही हृदय में
क्यों जाता खोजने उसे पहाड़ों पर मैदानों में
वो तो बसता तुझमें
क्या पूण्य कमाएगा ! जब तेरा अपना तड़पेगा
ओ रे मुर्ख मन !
निज हृदय से
खरपतवार चुन फेंक
क्यों करता तू बराबरी उनसे जो
तीर्थ कर पूण्य कमाते
सुन मेरी मनुष्यता ही धर्म है
और तू मानव का कल्याण कर |

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