कभी कभी न
जाने क्यूँ
लगता है कुछ
ऐसा
मानो कोई
अनजानी शक्ति
आ
कर हमारा रास्ता उस समय सुगम कर जाती है
जब हम
बिलबिला कर हार चुके होते हैं
और आगे चलने
की असमर्थता पर अफ़सोस कर रहे होते हैं
ऐसा
लगता है मानों हमारे सामने सघन जंगल है .....
अब
हम आगे कैसे चलें ?
कुछ समय बाद
एकाएक हमारा रुका काम स्वतः बन जाता है
तब न जाने
क्यूँ अद्भुत अचम्भा सा महसूस होता है
मन
में एक छोटी सी भावना पैदा होती है ...
जरूर कभी किसी
का भला किया था होगा मैंने |