Wednesday, July 15, 2020

रिश्ते


- इंदु बाला सिंह
एक बार बने रिश्ते मिटते नहीं हैं
हम उन्हे भुला देते हैं
पर वे हमारे अवचेतन मन में जा छिपते हैं
हमारे अकेले पल में
वे रिश्ते हमारे सामने आ खड़े होते हैं
हमसे प्रश्न करते हैं ....
पुराने रिश्तों को नया नाम दे उन्हें निभाना
हर पल खूबसूरती से जीना
नये रिश्ते बनाना
आगे बढ़ना
यही तो जीवन है |

सोयी थी उमंग


- इंदु बाला सिंह
प्रेम , कर्तव्य , भय के रेशमी धागों से लिपटी मैं ..... सोयी थी
बन गई थी
ककून .. . ....
एक दिन स्वयं कट गये .. धागे
आँखें चुंधियां गयीं .....
गुनगुनी धूप गर्माहट पैदा कर रही थी
असंख्य तितलियां उड़ रहीं थीं
और ... मेरे मन में उमंग ने अंगड़ाई ली .......
आकाश छूने की चाह जगी |

जूते उसे आवाज लगाते थे


-इंदु बाला सिंह
जूते जरूरत होते हैं .....
पर जूते शौक भी होते हैं इतनी समझ न थी उसमें
जिस दिन उसे बेटे से स्पोर्ट शू उपहार में मिला उस दिन वह भौंचक रह गयी ....
और
कुछ दिन बाद उसे समझ आया
ये रिबॉक के शूज मात्र जूते नहीं थे
ये उसकी आजादी के परिचायक थे
ये जूते उसे बार बार कहते थे ... दौड़ ... दौड़ .. दौड़ने की उम्र नहीं होती ....
जूतों की आवाज सुन न जाने क्यों .... वह हर बार सहम सी जाती थी |

बेटी का सुख


- इंदु बाला सिंह
परिवारों को मजबूत बनाने का नुस्खा आज भी कायम है
कन्यादान कीजिये
संतुष्टि पाईये .....
बेटी का जन्म हुआ
कलेजा कड़ा करके उसे पढ़ा लिखा स्वाभिमानी बनाया
और एक दिन ..... उसे उसके वास्तविक घर में पहुंचा दिया .......
कन्यादान किसी के लिये स्वर्ग का द्वार खोलता है
तो
किसी के लिये समाज में ऊँचा स्थान दिलाने का माध्यम है। ....
दान हुयी बेटी अपने जन्मदाता के लिये तड़पती है
और आजीवन उन्हें सुख पहुंचाना चाहती है
अपने भाई बहन की समस्याएं सुलझाती है .......
बेटे की अपनी समस्याएं हैं ..... उच्च अभिलाषाएं हैं
पिता कन्यादान का सुख भोग अनजाने में ही
आर्थिक और मानसिक बोझ तले दबा देता है अपने बेटे को |

रेप एक भयानक शब्द


- इंदु बाला सिंह
1
सुनसान सड़क पर चौकन्ना रहना है उसे .....
वह तो सुबह सबसे पहले अपने स्टॉप से खाली स्कूल बस में चढ़ती है ....
अबसे उसे उस स्टॉप से बस पकड़नी है जहां ढेर सारे बच्चे चढ़ते हों .....
बस से उतरना भी एक स्टॉप पहले ही है ....
पांचवी कक्षा की छात्रा ने मन में सोंचा |
वह डर गयी थी
परेशान थी
उसे लगा ..... उसके साथ भी रेप हो सकता है ....
आखिर ये रेप होता कैसे है ?
जैसे भी होता है ... कुछ खतरनाक होता है ....
उस दस वर्षीय छात्रा ने सोंचा |
मम्मी पापा से कह रही थी धीरे धीरे ...
किसी लड़की के रेप के बारे में बात कर रही थी ....
मुझे देखते ही चुप हो गयी .....
पापा गुस्सा से बोल पड़े। ... फालतू बात मत करो ....
उसे स्कूल में रेप के विषय में क्यों नहीं पढ़ाया जाता ?
फिर वह चुपचाप अपनी इंग्लिश ग्रामर की किताब खोल ली |
2
ये रेप की खबर सुन
सिर शर्म से झुक जाता है मेरा .
माना मैं समझदार हूँ
नौकरी करता हूँ
पर
इस विषय पर
मैं किसीसे बात नहीं करना चाहता ....
मीडिया चीख चीख कर रेपिस्ट के बारे में बोलती है ....
और
अपनी बहन के बारे सोंच मैं घबड़ा जाता हूँ |

आत्ममंथन


- इंदु बाला सिंह
पहले कमजोर बनाया
फिर
अनुगामिनी बनाया
शिक्षा ही न दी होती तो भला था
कम से कम अज्ञानी रह पशु रहते
जिस दिन जो रोटी खिलाता उसीके हो लेते
ये कैसा जीवन दिया तुमने
ओ ! पिताश्री |

जेंडर डिफरेंस


- इंदु बाला सिंह
1
उसकी तीन वर्षीय बिटिया फुल पैंट पहन कर किंडरगार्टन स्कूल में पहुंची ……
अरे !
लड़कियों का यूनिफॉर्म स्कर्ट है - हेड मिस भौं सिकोड़ी ।
2
छि: ! ये कौन आ गया !
लड़कियों के ग्रुप में एक लड़के को देख स्वाति कह उठी
किसी ने सिर झुकाया
तो… कोई मन्द मन्द मुस्काया
और
लड़का चुपचाप अपना मोबाइल खोल मैसेज पढ़ने लगा ।
3
लड़की मॉनिटर बनाओ
लड़के शांत बैठेंगे …
शिक्षिका ने क्लास कंट्रोल का गुर सिखाया ।