22 June
2014
09:34
-इंदु बाला
सिंह
अँधेरे
मद्धिम रोशनी
में
अपने घर के
एकमात्र कमरे
में
घर के
सदस्यों के
काम पे निकल जाने के बाद
महंगी
साड़ियों के ढेर के बगल में
बैठ
फाल लगाती हैं
बेल बूटे
काढ़ती हैं
घर की आमदनी
बढ़ाती हैं
शहर की
पानीदार
लड़कियां .......
भाई के उतरे
पेंट शर्ट पर ओढ़नी ओढ़
घर के सदस्यों
का खाना बना
जी लेती हैं
ये लडकियां ...........
घरेलू सजातीय
मित्र के
पुत्र से
ब्याह होने पर
अपना घर बसाती
हैं
और
उस घर की
इज्जत बनती हैं
ये
शहर की
पानीदार लडकियां ........
सड़कें
इन लडकियों को
उनके गन्तव्य
तक पहुंचाती हैं
और
सड़क के किनारे
के वृक्ष
आकाश होते हैं
इन लडकियों के
...........
समाज की आधार
होती हैं
ये वांछित
पानीदार लडकियां |
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