शनिवार, 20 अप्रैल 2013

नारियल का पेड़


चुपचाप आ कर बैठ जाती है याद
जब हम अकेले बैठे होते हैं
और हमसे बतियाने लगती है
धीरे धीरे खाली ऊसर मन में
कभी सुगन्धित फुहारें पड़ने लगती हैं
तो कभी आंधियां आ जाती है
और बरबस निगाह सामने के नारियल के पेड़ पर चली जाती है
कितना ऊँचा है ये !
पिछले दिन की आंधी ने कितने घने बड़े पेड़ों को पटक दिया
पर यह पेड़ खड़ा है
गर्मियों में हमें छांव नहीं देता तो क्या हुआ डाब तो देता है
हमारी जलन शांत करता है
यादों के शहर से निकाल लाते हैं
हमें हमारे पेड़
अगर पेड़ न होता हमारे घर या पड़ोस में तो ?

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