शनिवार, 6 अप्रैल 2013

तरेरो बाघ को


तुम्हारे काले चश्मे में छुपी आंखें
दिख ही जाती हैं मुझे
लाख छुपाओ तुम उन्हें
तुम्हारी लाचारगी का हाल
कह ही जाती हैं मुझसे
ओ मेरे पुत्र !
दुनिया के पहचाने चेहरे में
सदा शोषण करने को आतुर
एक अनजान चेहरा भी छुपा है
कभी न भूलना प्यारे
आंख तरेरना रास्ते के बाघों को
लौट जायेंगे वे अपने घर |

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