सोमवार, 22 अप्रैल 2013

पिया है प्याला अमरत्व का


मेरी तलवार चमचम करती
मैं हूं मस्तानी
पिया मैंने अमरत्व का प्याला
मैंने भी सीखा है छल , रण कौशल कोख में
न आना राह में मेरे
मैं हूं क्षत्राणी
निकल पड़ी है हर घर से फौज मेरी
कल  प्रलय का दिन  है
काटूँगी मैं हर भ्रष्टाचारी , बलात्कारी , मदांध को
तृतीय नेत्र खोल निकली मैं
पीने को आतुर आज तलवार मेरी रक्त का प्याला
तनिक विश्राम करने दे मुझे
आज की रात
अब भी मौका है
तू सम्हल जा
मैत्री सन्देश भिजवाया है
मानना है तो मान
वरना कल मिलते हैं मैदान में |

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