मेरी तलवार
चमचम करती
मैं हूं
मस्तानी
पिया मैंने
अमरत्व का प्याला
मैंने
भी सीखा है छल , रण कौशल कोख में
न आना राह
में मेरे
मैं हूं
क्षत्राणी
निकल पड़ी है
हर घर से फौज मेरी
कल प्रलय का दिन है
काटूँगी मैं
हर भ्रष्टाचारी , बलात्कारी , मदांध को
तृतीय नेत्र
खोल निकली मैं
पीने को आतुर
आज तलवार मेरी रक्त का प्याला
तनिक विश्राम
करने दे मुझे
आज की रात
अब भी मौका है
तू सम्हल जा
मैत्री सन्देश
भिजवाया है
मानना है तो
मान
वरना कल मिलते
हैं मैदान में |
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