चोटी पर
पहुंचने का उन्माद
हममें कभी
कभी
इतना
असहिष्णु हो जाता है
कि हम अपनी
सारी उर्जा झोंक देते हैं
चढ़ाई में
शिखर पर
पहुंच ही जाते हैं
और
तब हम पाते हैं
असीम आनंद
कुछ ही समय
बाद लगने लगता है
अरे ! हमारी
जमीन की जड़ें कट गयी है
चोटी पर हमारे
पैर जरुर हैं पर
हमारी हर गाँठ
से
वायवीय जड़
निकल रही हैं |
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