#स्त्री
-इंदु बाला सिंह
-इंदु बाला सिंह
मैं नॉकरी से रिटायर हो गयी
अब ....दिनचर्या भर बदली है
और कुछ नहीं
व्यस्तता तलाश ली है मैने
अहसानमंद हूं मैं अपनी माता की जिसने मुझसे बचपन से ही चौके का काम करवाया
अहसानमंद हूं मैं अपने पिता की जिन्होंने रिश्तेदारों की परवाह न कर मुझे उच्च शिक्षा दिलवायी
आज मैं स्वाभिमानी बुजुर्ग हूं
ऑफिस छूटा तो क्या हुआ चौका तो सदा मेरा है
मैंने अपने घर में कालेज के विद्यार्थियों को पेइंग गेस्ट रख लिया है
मेरा कमाने का तरीका भर बदला है ।
अब ....दिनचर्या भर बदली है
और कुछ नहीं
व्यस्तता तलाश ली है मैने
अहसानमंद हूं मैं अपनी माता की जिसने मुझसे बचपन से ही चौके का काम करवाया
अहसानमंद हूं मैं अपने पिता की जिन्होंने रिश्तेदारों की परवाह न कर मुझे उच्च शिक्षा दिलवायी
आज मैं स्वाभिमानी बुजुर्ग हूं
ऑफिस छूटा तो क्या हुआ चौका तो सदा मेरा है
मैंने अपने घर में कालेज के विद्यार्थियों को पेइंग गेस्ट रख लिया है
मेरा कमाने का तरीका भर बदला है ।
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