गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

पूरे गांव की बेटी


-इंदु बाला सिंह


दादी बोलते जा रही थी ....

हमारे समय में तो बेटी के ब्याह में पूरा गांव सहायता करता था बेटी के पिता की ...

बेटी पूरे गांव की बेटी होती थी ...

बेटी के ब्याह में गांववाले भोज नहीं खाते थे

आखिर बेटी के पिता का खर्च क्यों बढ़ाया जाय ....

अब तक दादी की यादें सुनती कालेज जानेवाली पोती बोल उठी .....

उस समय बलात्कार नहीं होता था न दादी .....

पोती के मुख से अचानक निकले वाक्यांश ने दादी को हतप्रभ कर दिया ....

और उन्हें अपने घर की देवरानी याद आ गयी ।

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