शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

सन्नाटा है


- इंदु बाला सिंह


आह ! कितना अंधेरापन है

शायद

अकेलापन है

ऐसा ही लगता होगा क्या मौत के समय ?

सब अपने हैं

सब खुश हैं

बाते कर रहे हैं आपस में

आखिर क्या बात कर रहे हैं वे !

ऐसा सन्नाटा क्यों है मेरे चारों तरफ ?

इतना खालीपन क्यों है !

कोई खुशी के पल याद क्यों नही आ रहे ?

क्यों !

आखिर क्यों !!

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