बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

घर बसने के लिये मकान जरूरी है


- इंदु बाला सिंह


शाम को मंदिर की दान पेटी का ताला खुला .…

रुपये तो निकले ही और निकला ....

मन्दिर के नाम जमीन की रजिस्ट्री का कागज

' ईश्वर तेरी लीला विचित्र है । ' ... पुजारी के मुंह से निकल पड़ा ।

शहरों में एक कमरे के अभाव में जिंदगी भर कुंआरी रहनेवाली वर्किंग होस्टल की कर्मजीवी बेटियां याद आ गयीं मुझे ..

' ईश्वर तेरी लीला भी विचित्र है ' ... मैंने सोंचा ।

ईश्वर ने मुझे एक ही सन्तान दी थी ....

मेरे और मेरे पति के पास ई ० एम ० आई ० के पैसों से खरीदे दो मकान थे ।

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