- इंदु बाला सिंह
शाम को मंदिर की दान पेटी का ताला खुला .…
रुपये तो निकले ही और निकला ....
मन्दिर के नाम जमीन की रजिस्ट्री का कागज
' ईश्वर तेरी लीला विचित्र है । ' ... पुजारी के मुंह से निकल पड़ा ।
शहरों में एक कमरे के अभाव में जिंदगी भर कुंआरी रहनेवाली वर्किंग होस्टल की कर्मजीवी बेटियां याद आ गयीं मुझे ..
' ईश्वर तेरी लीला भी विचित्र है ' ... मैंने सोंचा ।
ईश्वर ने मुझे एक ही सन्तान दी थी ....
मेरे और मेरे पति के पास ई ० एम ० आई ० के पैसों से खरीदे दो मकान थे ।
मन्दिर के नाम जमीन की रजिस्ट्री का कागज
' ईश्वर तेरी लीला विचित्र है । ' ... पुजारी के मुंह से निकल पड़ा ।
शहरों में एक कमरे के अभाव में जिंदगी भर कुंआरी रहनेवाली वर्किंग होस्टल की कर्मजीवी बेटियां याद आ गयीं मुझे ..
' ईश्वर तेरी लीला भी विचित्र है ' ... मैंने सोंचा ।
ईश्वर ने मुझे एक ही सन्तान दी थी ....
मेरे और मेरे पति के पास ई ० एम ० आई ० के पैसों से खरीदे दो मकान थे ।
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