- इंदु बाला सिंह
हद से ज्यादा प्यार किया
उसने ....
मां के हिस्से का ही नहीं
पिता के हिस्से का प्यार भी देना जरूरी समझा ....
कहीं तो कुछ भूल हुई
कि
सम्मान न मिला
प्यार न मिला
मिला
मात्र अकेलापन ....
आदमी भी गजब का जीव है
ज्यों ज्यों
वह
ऊंचा उठता जाता है
त्यों त्यों
वह
अकेला होता जाता है ....
गजब की रेस है
इंसानी जीवन की
पल भर की फुर्सत नहीं सुस्ताने की उसे ...
कहीं कोई आगे न निकल जाय उससे ।
मां के हिस्से का ही नहीं
पिता के हिस्से का प्यार भी देना जरूरी समझा ....
कहीं तो कुछ भूल हुई
कि
सम्मान न मिला
प्यार न मिला
मिला
मात्र अकेलापन ....
आदमी भी गजब का जीव है
ज्यों ज्यों
वह
ऊंचा उठता जाता है
त्यों त्यों
वह
अकेला होता जाता है ....
गजब की रेस है
इंसानी जीवन की
पल भर की फुर्सत नहीं सुस्ताने की उसे ...
कहीं कोई आगे न निकल जाय उससे ।