रविवार, 3 मई 2015

जन्मदाता तो हैं बरगद की छाँव

-इंदु बाला सिंह 

रोती सूरत
भाये कुछ लोगों को
महिलाओं की |
भोर गर्मी की
अनुशाषित करे
हम युवा को |
नारी से है घर
समाज की है रीढ़ वह
यह न भूलना कभी तू |
पर
जन्मदाता तो  हैं बरगद की छाँव
इतना याद रखना तू |

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