शुक्रवार, 15 मई 2015

दूर सड़क से आ रही थीं आवाजें


15 May 2015
18:09


-इंदु बाला सिंह


रात साढ़े ग्यारह बजे का समय था
और
मैं सड़क के कूड़े में आग लगा इन्तजार कर रही थी
उनके बुझने का .....
आ रही थीं युवा आवाजें
दूर की सड़क से ........
हा हा हा
कह रही थी वो
मैं तुम्हारी बहन की तरह हूं
हां हा हा
कितनी सारी अस्पष्ट आवाजें थीं
अट्टहास गूंज रहा था
न जाने कौन थे वे
उनके टुकड़े टुकड़े वाक्यांश बहुत कुछ समझा गये 
थोड़ा भयभीत हुयी मैं
फिर सोंची
आखिर ये किसीकी औलाद हैं
कैसे कर्म से आनन्द आता है इन्हें ....
कैसा बोझ छोड़ गये हैं 
इनके जन्मदाता धरा पे |


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