सोमवार, 4 मई 2015

हाथ न फैलायें हम कभी


04 May 2015
20:42
-इंदु बाला सिंह


गर स्वाभिमान मिटा
तो
हम लुटे
फिर
ऐसा जीना भी क्या जीना
यारा !
चल
क्यूं कस कर पकड़े
अपनी मुट्ठी में
हम
अपना मान
अपना स्वाभिमान
और
कभी हाथ फैलायें हम
जीते जी अपना
बस
जब तक सांस
तब तक
है आस

सुन ले मेरे यार |

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