आरक्षण दिया
जाय
पैतृक
संपत्ति में हक दिया जाय
पर क्या
लडकियों के विचार में
परिवर्तन ला
सकते हैं हम
उसके मन में
पारिवारिक जिम्मेवारी की भावना
पनपा सकते
हैं हम कभी
यह एक सोचनीय
विचार है
हर लड़की
देखती है
घर में रहा
जा सकता है सुरक्षित
पैसे कमाने
की चिंता से मुक्त
ठाट
से वह झकझोरती है
वह सामजिक व्यवस्था का
दुहाई दे पति को .....
...............................................
खिला
नहीं सकते थे तो ब्याह क्यों किया ?....
.............................................
पढ़ी लिखी
महिलाएं के मुंह से ऐसे वाक्य निकल कर
मारते हैं
तमाचा
हमारा
प्रगतिवादी सवर्ण पुरुष
सारे आरक्षणों
को लाँघ ऊँचाई पर पहुंचने के बाद
रह जाता है
निरुत्तर
एक पल को |
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