बुधवार, 20 नवंबर 2013

बेटी का मान

पिता की मृत्यु के पश्चात
हकबका जाती है बेटी उस समय
जब उसे पिता की वसीयत दिखाई नहीं जाती
और कुछ मास बाद देखती  है वह
पिता की स्थाई सम्पत्ति का मालिक बन गया है
उसका अपना भाई
इससे बड़ा अपमान उसके लिए क्या है
पिता से उसे उसका हक न मिला
बची खुची कसर भी पूरी हो जाती है
जब वह देखती  है
उसके भाई की पत्नी को माँ के गहने पहने देख 
ममेरी बहन के ब्याह में
माता पिता ही अपने नहीं
तो जग बैरी बन जाय
प्रश्न धन का नहीं
पैतृक हक और मान का है
समझदार बेटियों की नन्ही पौध देख रही है
पिताओं के कर्मों को
महसूस कर रही है बहुत कुछ
और तख्ता पलट रही हैं ये बेटियां
अपने हक और मान की तलाश में निकल पड़ी हैं बेटियां
राखी का धागा कमजोर पड़ता जा रहा है |


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