बुधवार, 13 नवंबर 2013

मिट्टी का दिया

मिट्टी का दीया हूं
मंदिर में  जलता
घर में जलता
स्वजन  की याद में जलता
जहां तेल बाती डाल कर जलाते मुझे तुम
वहीं मै जलता
राह दिखता
आशा का दीप प्रज्ज्वलित करता
सबका प्रिय हूं मै
पर मुझे  प्रिय है मेरा सर्जक
मेरा अपना कुम्हार
जिसका घर है आज दीवाली में भी अँधेरा
क्योंकि तुमने समय पर न लौटाये
उसके रूपये उधार |

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