शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

नींव है लोक गीत

लोक गीत ईश्वर  का आह्वान हैं
तो शादी - ब्याह जन्मोत्सव का उल्लास भी है
यह मौन रुदन भी हैं
जो रिश्तों को आवाज लगता है
और सीधे प्रवेश करता है हृदय में हमारे
हम  कान बंद नहीं कर सकते
यह आवाज मधुर हो या करुण
घंटों भिंगोती  रहती है हमें  
मन खोजने  को आतुर हो  उठता है उस श्रोत को
ऐसा कोई नशा नहीं बना
 जो भुला दे  अपने घर की अपनी नींव को |

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