लोक गीत ईश्वर का आह्वान हैं
तो शादी - ब्याह जन्मोत्सव
का उल्लास भी है
यह मौन रुदन भी हैं
जो रिश्तों
को आवाज लगता है
और सीधे प्रवेश करता है हृदय में हमारे
हम कान बंद नहीं कर सकते
यह आवाज मधुर हो या करुण
घंटों भिंगोती रहती है हमें
मन खोजने को आतुर हो उठता है उस श्रोत को
ऐसा कोई नशा नहीं बना
जो भुला
दे अपने घर की अपनी नींव को |
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