14
December 2015
12:50
-इंदु बाला
सिंह
मुद्दतों बाद
मिली
मुझे मेरी खोयी किताब
और
उसमें से
झांकी
एक
कशिश ...........
तीली लगा दी
मैंने उसे
......................
धुयें के
गुबार ने
देखते ही
देखते मिटा दिया
अहसासों के
कठुआये बीज
.........
जीने के लिये
है जरूरी
भूलना बीते दिन | |
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