-इंदु बाला सिंह
दिल दुखाया जिसने
किसी
निकटस्थ रक्त सम्बन्धी का अपने
उसने
क्या जीवन जिया
ईश्वर भी रो दिया होगा जरूर एक दिन
देख
उस मानव की स्वार्थपरता ...........
ऐसी भी क्या महत्वाकांक्षा
ये कैसा मानसिक सुख
कि
पर्वत शिखर पर पताका लहरा तो लिये हम
पर
लौटे
तो
घर में हमें छायायें ही मिलीं ।
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