My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी,
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बुधवार, 30 दिसंबर 2015
निकलने का पल आ रहा पास
-इंदु बाला सिंह
देखते देखते
बाट जोहते
वर्ष छोटे होने लगे
और
दिन लम्बे
चलूं
छांटना ......... बांधना शुरू करूं
अब
अपना असबाब ..........
निकलने का पल आ रहा पास
मकान को
साफ़ सुथरा कर
छोड़ जाना
भली बात ।
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