गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

हमारा पार्क



-इंदु बाला सिंह

सकून पहुंचाये पार्क
हमारे मन को
चाहे
इसे
दूर से देखें
या
पास से
यह तो
हमारी
क्रीड़ा स्थली है
विचार स्थली है
कितना मन भावन है हमारा पार्क । 

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