गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

खुशी की गर्माहट



-इंदु बाला सिंह

खुशी तो सूरज है
लाख ढको
उसकी किरण निकल  ही जाती है
बादलों  से  ..........
दुआ है मेरी
खुश रहे तू सदा
और
तेरी खुशी की गर्माहट में
खुश रहूंगी
मैं
ओ !
मेरे कमरे के पड़ोसी । 

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