13
February 2015
12:54
-इंदु बाला
सिंह
न जाने क्यूं
कभी कभी ऐसा
लगता है मुझे
कि
माँ को
बेटा जन्माने
में
ज्यादा पीड़ा
झेलनी पड़ती है
बेटी की
अपेक्षा
तभी तो
अपनी
बेटी के दुःख से
जिस
माँ का कलेजा न दहलता
उसी माँ का
असीस बरसता
सदा अपने बेटे
पर ........
ये कैसा
रिश्ता होता माँ बेटी का ..........
माँ तो रंग
बदलती
अपनी सम्पत्ति
छुपा के रखती
अपने भरे पूरे
बेटे के लिये
और
अकेली
अभावग्रस्त
बिटिया जीती
अपने सपने
पालती
मुस्काती
चलती रहती
समय भरोसे
थाम के
अपनी आशा का
हाथ |
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