18
February 2015
11:40
-इंदु बाला
सिंह
राजकुमार
, जेवर
, जरीदार
साड़ियों की चाह लिये
घरेलू औरत
बनी लड़की
मर्दों की
चाल के तहत
सर्वहारा बन
ठगी
सी
अकेली ही रह जाती
है ........
वैसे
कुछ
नसीबोंवाली होती हैं
जो
कम उम्र में
ही
अपने
इर्दगिर्द के चक्रव्यूह से मुक्त हो जाती हैं ............
हम बस उन घरलू
औरतों की आहट महसूसते हैं
अपने खाली
पलों में .......
कब सुधरेंगे
हम !
न जाने क्यों
आज चिंतित है मन |
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