31
January 2015
13:45
-इंदु बाला सिंह
विस्मित आंखें देख रहीं थीं
आज फिर से
एक अभिमन्यु का युद्ध ........
यह
एक अनोखा अभिमन्यु था
जो
उतरा था समर क्षेत्र में
सीख
समय से चक्रव्यूह भेदन कला ........
दर्शकों
की सांसें रुक सी गयीं थी
विचार अटकलें
लगा रहे थे
राज्य में
हर रोज सुबह
शाम
पान की दुकान
में भीड़ जमती थी
चाय की दूकान
की बिक्री बढ़ गयी थी
आफिस की
कैंटीन भरी रहती थी |
सब को आतुरता से इन्तजार था
फैसले के दिन का |
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